यदि फुल फॉर्म की बात की जाए तो पी/ई अनुपात (PE Ratio) का अर्थ है कीमत-अर्जन अनुपात। टेक्निकल टर्म में कहा जा सकता है कि यह एक वैल्यूएशन मैट्रिक है जो निवेशक को यह जानकारी देता है की कंपनी के शेयर किस कीमत पर ट्रेडिंग कर रहे हैं तथा उन शेयर्स की संभावित आय की वृद्धि दर क्या है। पीई अनुपात या मूल्य-आय अनुपात किसी कंपनी के शेयर की वर्तमान कीमत का उसकी प्रति शेयर आय के संबंध में अनुपात है।
शेयारों के मूल्यांकन के लिए पी/ई रेश्यो सबसे लोकप्रिय उपकरणों में से एक है। आइए विस्तार में जाने क्या होता है पी/ई रेश्यो |
पी/ई रेश्यो अर्थात मूल्य-अर्जुन अनुपात (Price to Earnings Ratio) एक लोकप्रिय उपकरण है जिससे स्टॉक मार्केट का मूल्यांकन किया जा सकता है। यह उपकरण आपको यह बतलाता है कि आप हर अर्न्ड मनी के लिए क्या पे कर रहे हैं। अगर पी/ई रेश्यो हाई है तो निवेशक सोचते हैं कि भविष्य में ग्रोथ बढ़ाई जाएगी।
पी/ई अनुपात की गणना कैसे करें – How to Calculate PE Ratio?
पी अनुपात की गणना करने का फार्मूला है –
पी/ई रेश्यो = (शेयर का वर्तमान बाजार मूल्य/प्रति शेयर आय)
(P/E Ratio= Market value per share/Earning per Share)
मूल्य से आय अनुपात दुनिया भर में विश्लेषको और निवेशकों के द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले मैट्रिक्स में से एक है। यह शो करता है कि एक इन्वेस्टर किसी कंपनी के एक शेयर में एक रुपए में कितना पैसा इन्वेस्ट करने को तैयार है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कंपनी का पी/ई रेश्यो 20 है, निवेश रुपए का भुक्तान करने को तैयार है to उसकी स्टॉक में एक रुपए में रुपए 20 उनकी वर्तमान कमाई है।
इसलिए यह माना जा सकता है कि जिस कंपनी का पी/ई अनुपात (PE Ratio) प्रदर्शन हाई है तो उस कंपनी का मूल्यांकन अधिक है या अन्य शब्दों में कहे तो वह विकास पथ पर अग्रसर है। हाई पी/ई अनुपात का एक और डिस्क्रिप्शन यह है कि ऐसी कंपनी के भविष्य में रेवेन्यू में वृद्धि होने की उम्मीद है तथा एनालिस्ट और इन्वेस्टर्स द्वारा इसकी अटकलों के कारण इसकी करंट स्टॉक की कीमतों में उछाल आया है।
इसके विपरीत कम मूल्य आय अनुपात बाजार के किसी भी सिस्टमैटिक या अनसिस्टमैटिक रिस्क के कारण शेयर के कम मूल्यांकन का प्रतीक है। लेस पी/ई रेश्यो एक तरीके से यह इंडिकेशन माना जा सकता है कि कंपनी भविष्य में खराब प्रदर्शन करेगी जिसके कारण उसकी करंट स्टॉक वैल्यू गिर रही है।
मूल्य आय अनुपात के प्रकार – Types of PE Ratio?
पी/ई रेश्यो मेनली दो प्रकार के होते है:
फॉरवर्ड पी/ई रेश्यो और ट्रेलिंग पी/ई रेश्यो।
फॉरवर्ड पी/ई रेश्यो – इसका कैलकुलेशन किसी कंपनी के स्टॉक की एक यूनिट की कीमत को और उसके फ्यूचर अर्निंग गाइडेंस से जेनरेटेड कंपनी की ऐस्टीमेटेड अर्निंग को विभाजित करके की जाती है। क्योंकि यह अनुपात किसी कंपनी की कमाई पर आधारित होता है इसलिए इसे अनुमानित पी/ई रेश्यो (PE Ratio) भी कहा जाता है।
फ्यूचर में किसी कंपनी से कैसे परफॉर्मेंस की एक्सपेक्टेशन है और उसकी एक्सपेक्टेड ग्रोथ रेट क्या है इसका एनालिसिस करने के लिए निवेशक फारवर्ड प्राइस अर्निंग रेश्यो का यूज करते हैं।
ट्रैलिंग पी/ई रेश्यो यह रेशों इन्वेस्टर्स के द्वारा सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला मैट्रिकस है, जिसमें किसी कंपनी की पिछली अर्निंग को कंसीडरेशन में लिया जाता है। यह किसी कंपनी के परफॉर्मेंस का एक्यूरेट और ऑब्जेक्टिव व्यू प्रदान करता है।
फारवर्ड और ट्रेलिंग पी/ई रेश्यो का संबंध
किसी कंपनी के वैल्यूएशन की ज्यादा कंप्रिहेंसिव डीटेल्स पानी के लिए फॉरवर्ड और ट्रेलिंग पी/ई रेश्यो का एक दूसरे के साथ संयोजन में उपयोग किया जा सकता है। अगर आप किसी कंपनी के फारवर्ड पी/ई रेश्यो पर नजर रख रहे हैं तो आप प्रोजेक्ट रेश्यो की तुलना उसके ट्रेलिंग पी/ई रेश्यो से कर सकते हैं। इससे आप कंपनी के भविष्य के प्रति सटीक अनुमान लगा पाएंगे।
पी/ईअनुपात तथा मूल्य निवेश के बीच संबंध
जो इन्वेस्टर्स शेयर मार्केट में ट्रांजैक्शन करते समय वैल्यू इन्वेस्टिंग के प्रिंसिपल को अपनाते हैं वह किसी कंपनी की करंट मार्केट वैल्यू के बजाय उसकी अंतर्निहित एसेटस की इंट्रिंसिक वैल्यू पर फोकस करते है। पी/ई रेश्यो इस संबंध में उपयोग किए जाने वाले प्राइमरी मैट्रिक्स में से एक है क्योंकि यह, यह डिटरमिन करने में मदद करता है कि कोई स्टॉक ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्युएट है।
अगर कोई कंपनी हाई पी/ई रेश्यो (High PE Ratio) शो कर रही है तो यह दर्शाता है कि कंपनी के शेयर की कीमतें उसकी कमाई की तुलना में कंपेरटिवली ज्यादा है और इसी कारण से इसका अधिक मूल्यांकन किया जा सकता है। वैल्यू इन्वेस्टर ऐसे अधिक कीमत वाले शेयरों में व्यापार करने से बचते हैं क्योंकि यह हाई स्पैक्यूलेशन इंडिकेट करता है जिस से कंपनी को इनएफिशिएंट फंड मैनेजमेंट से डेवलप होने वाले सिस्टमैटिक रिस्क को फेस करना पड़ता है।
दूसरी ओर यदि कोई स्टॉक एवरेज पी/ई से कम परफॉर्म करता है तो यह शो करता है कि कंपनी की कमाई के संबंध में स्टॉक की कीमतें कम आंकी गई है और इसलिए इसका वैल्यूएशन कम किया गया है। वैल्यू इन्वेस्टर इस सिनेरियो को इन्वेस्टमेंट के लिए पॉजिटिव इंडिकेशन मानते हैं क्योंकि वे इनशेयरों को इनके इंट्रिसिक वैल्यू के कंपैरिजन में कम प्राइस पर खरीद सकते है और बाद में इनकी कीमत बढ़ने पर इसे अधिक कीमत पर बेच सकते हैं।
वैल्यू इन्वेस्टिंग के लिए इन्वेस्टर्स को अपनी प्रॉफिटेबिलिटी का पूरी तरह से एहसास करने के लिए शेयरोंको लंबे समय तक रखने की आवश्यकता होती है। साथ ही यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि व्यक्तियों को यह तय करने से पहले की किसी विशेष कंपनी का स्टॉक ओवरवैल्यूड है या अंडरवर्ल्ड है उद्योग के एवरेज पीई अनुपात पर विचार करना चाहिए।
एब्सलूट पी/ई रेश्यो और रिलेटिव पी/ई रेश्यो – What is Absolute PE Ratio & Relative PE Ratio?
पी/ई रेश्यो (PE Ratio) के दो और प्रकार होते हैं जो किसी कंपनी के परफॉर्मेंस को डिटरमिन करने में मदद करते हैं। ये रेश्यो इस प्रकार है।
एब्सलूट पी/ई रेश्यो – यह पारंपरिक पी/ई रेश्यो को रिफर करता है जिसमें किसी कंपनी के करंट स्टॉक वैल्यू को पिछली कमाई या भविष्य की कमाई से डिवाइड किया जाता है।
रिलेटिव पी/ई रेश्यो – इस रेश्यो को कैलकुलेट करने के लिए कंपनी के एब्सलूट रेश्यो की तुलना बेंचमार्क पी/ई रेश्यो या संबंधित कंपनियों की पिछली अर्निंग की प्राइस के मुकाबले की जाती है।
इसका उपयोग इन्वेस्टर्स द्वारा यह डिटरमिन करने के लिए किया जाता है कि कोई कंपनी अपने पिछले रेश्योस या बेंचमार्क रेश्योस के संबंध में कितना अच्छा परफॉर्म कर रही है।
पी/ई रेश्यो की सीमाएं – Limitations of PE Ratio
किसी स्टॉक की सही सही वैल्यू पता करने के लिए केवल करंट ईयर की कमाई को आधार नहीं बनाया जा सकता है। स्टॉक वैल्यू किसी कंपनी के फ्यूचर में सभी एक्सपेक्टेड कैश फ्लो और फ्यूचर अर्निंग्स पर डिपेंड करता है। पी/ई रेश्यो (PE Ratio) का उपयोग एक अच्छे स्टार्टिंग पॉइंट के रूप में किया जा सकता है। जब तक हमें EPS में वृद्धि की संभावनाओं और कंपनी के रिस्क प्रोफाइल की कुछ समझ नहीं होती तब तक इसका अपने आप में कोई अर्थ नहीं है। एक इन्वेस्टर को कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट की गहराई से जांच करनी चाहिए और कंपनी के मूल्य और प्रदर्शन की बेहतर तस्वीर पाने के लिए अन्य मूल्यांकन और फाइनेंशियल एनालिसिस मैथर्ड का यूज करना चाहिए।
इसके अलावा पी/ई रेश्यो विचित्र परिणाम उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि – कमाई में कमी के परिणाम स्वरुप नेगेटिव EPS, नेगेटिव पे प्रोड्यूस करेगा। लगभग जीरो नेट इनकम वाली कंपनी द्वारा अत्यधिक हाई पे उत्पन्न किया जा सकता है। जिसके परिणाम स्वरूप डेसिमल्स में बहुत कम EPS होता है।
निष्कर्ष – पी/ई रेश्यो एक महत्वपूर्ण वित्तीय टर्म है। यह किसी कंपनी की उसके कंपीटीटर्स की तुलना में रिलेटिव चीपनेस और एक्सपेंसिवनेस को दर्शाता है। पी/ई रेश्यो को समझने से आपको इन्वेस्टमेंट डिसीजन लेने में आसानी होगी।