Scalp Trading

स्कैल्प ट्रेडिंग क्या है: स्कैल्पिंग कैसे काम करती है

स्काल्पिंग(Scalping) एक व्यापारिक रणनीति है जिसके लिए व्यापारी को कई व्यापार करने की आवश्यकता होती है। यह रणनीति उन व्यापारियों के लिए है जो बेहद कम समय सीमा के अंदर मुनाफे पाना चाहते हैं। यदि आप इसके विषय में विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो निम्नलिखित लेख आपको यह संपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। 

स्काल्पिंग (Scalping) क्या है?

स्काल्पिंग(Scalping) एक व्यापारिक रणनीति है जिसके द्वारा व्यापारी बहुत कम समय सीमा में छोटे-छोटे मुनाफे हासिल करना चाहते हैं, इसके लिए व्यापारी को कई व्यापार करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के तौर पर एक स्कॉलर केवल 30 सेकंड की समय अवधि में, ERO  या  USD में एक या दो पिप मूवमेंट से लाभ प्राप्त कर सकता है। फिर भी इस प्रक्रिया को पूरे दिन में कई बार दोहराते हैं ताकि छोटे-छोटे लाभदायक ट्रेडस के जरिए बहुत बड़ी राशि जुटा सकें। 

Scalping treading में ट्रेडर्स सबसे ज्यादा उछाल वाले शेयरों को चुनते है इसके बाद वह उसे उसकी पूरी मार्जिन मनी के साथ परचेज करते हैं और फिर उस शेयर की कीमत में इजाफा होने पर उसे बेच देते हैं। यह पूरी प्रक्रिया एक दिन के अंदर ही शेयर मार्केट के खुलने और बंद होने के बीच होती है और इसी ट्रेडिंग को हम स्काल्पिंग ट्रेडिंग कहते हैं। 

स्काल्पिंग ट्रेडिंग (Scalp treading) का प्रोसेस क्या है?

स्कैल्प ट्रेडिंग एक शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग तकनीक है जिसमें मूल्य अंतर से प्रॉफिट कमाने के लिए दिन में कई बार शेयर्स खरीदे व बेचे जाते हैं। इसमें शेयर्स को कम प्राइस पर खरीदना तथा हाई प्राइस पर बेचना शामिल है। इसमें लिक्विड एसेट का ट्रांजैक्शन होता है जिनका प्राइस दिन में कई बार परिवर्तित होता है। यदि एसेट लिक्विड नहीं है तो आप स्कैल्प नहीं कर सकते हैं। लिक्विडिटी एश्योर करती है कि बाजार में प्रवेश करने या एग्जिट करने पर आपको सबसे अच्छी कीमत मिलती है। 

स्कॉलर्स की माने तो बाजार में छोटे सौदे में इंवॉल्व होना काम रिस्की होता है। इनमें इन्वेस्ट करके मार्केट के अप्स एंड डाउनस के साथ डील करना आसान होता है। स्कॉल्पर्स अपॉर्चुनिटी को भांपकर छोटे मुनाफे कमाते हैं। स्कैल्प ट्रेडिंग नॉर्मल शेयर ट्रेडिंग से ऑपोजिट है जिसमें कारोबारी अवसर का लाभ उठाने के लिए कई सप्ताह या महीना तक शेयर्स होल्ड करके रखते हैं। जबकि स्कॉल्पर्स इससे ठीक विपरीत तौर पर बड़े लाभ का इंतजार ना कर छोटी अवधि के अंदर लाभ के अवसर ढूंढने में विश्वास रखते है। 

स्काल्पिंग बनाम डे ट्रेडिंग 

स्कैल्प ट्रेडिंग (Scalping treading)डे ट्रेडिंग (Day Treading)
एक डे ट्रेडर, कुछ घंटे के अंतराल में शेयर्स खरीदता और बेचता हैट्रेडिंग करने के लिए एक स्कॉलपर 5 सेकंड से 1 मिनट के बीच सबसे कम समय सीमा का उपयोग करता है। 
डे ट्रेडर के पास एक एवरेज साइज का अकाउंट होता हैएक स्काल्पर के अकाउंट का साइज बड़ा होता है
डे ट्रेडर्स भी क्विक ट्रेडिंग करते हैं लेकिन वह एवरेज पेस पर ट्रेड करते हैंस्कॉल्पर तत्काल परिणाम का टारगेट रखते हैं। इनकी कारोबार करने की गति तेज होती है। अन्य कारोबारीयों के कंपेयर में यह ऑपच्यरुनिटीज को जल्दी ग्रैब कर इनीशिएट और क्लोज कर देते हैं
डे ट्रेडर्स डिसीजन मेकिंग के लिए एक टेक्निकल एनालिसिस करते हैं जिसके बेसिस पर वे डिसीजन लेकर ट्रेडिंग करते हैं।स्काल्पर अपने एक्सपीरियंस के बेसिस पर डिसीजन लेते हैं। उन्हें मार्केट के एप्स एंड डांस का पूरा अंदाजा होता है और वे अपने खाते में प्रॉफिट पाने के लिए ट्रेड को क्लोज कर देते हैं। 

स्कैल्प ट्रेडिंग (Scalping treading) की स्ट्रेटेजी

मुख्य तौर पर स्काल्पिंग ट्रेडिंग की तीन रणनीतियां  हैं जिनका उपयोग स्कॉल्पर्स करते हैं। ये रणनीतियां निम्न प्रकार है

हाई वॉल्यूम ट्रेडिंग : स्कॉल्पर्स अक्सर एक छोटे से काम का मैक्सिमम प्रॉफिट उठाने के लिए बड़ी मात्रा में खरीदी करते हैं। यह अप्रोच इंप्लीमेंट करने के लिए सफिशिएंट लिक्विडिटी की आवश्यकता होती है। 

ब्रेक आउट ट्रेडिंग : यह रणनीति शायद सबसे ज्यादा एक्सेप्टेबल स्ट्रेटजी है क्योंकि इसका उपयोग सभी ट्रेडिंग स्टाइल्स में किया जाता है। इसके तहत ब्रेक आउट की तलाश करना, ब्रेकआउट की शुरुआत में किसी ट्रेड में इंवॉल्व होकर सिचुएशंस को समझने और पहले एग्जिट इंडिकेशन होते ही क्लोज कर देना जैसी स्ट्रेटजी शामिल है।

स्प्रेड की ट्रेडिंग करना: इस रणनीति को मार्केट मेकिंग के रूप में जाना जाता है। इस रणनीति के तहत स्कॉल्पर्स एक एसेट को खरीदने और बेचने के साथ-साथ स्प्रेड पर प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं। यह एक ऐसे मार्केट पर डिपेंड करता है जो कंपेरटिवली स्टेबल हो लेकिन फिर भी डीप लिक्विडिटी के अनुभव के लिए जाना जाता हो। यह सबसे कठिन स्ट्रेटजी है क्योंकि इसके लिए ट्रेडर को बड़े ऑर्गेनाइजेशंस और मार्केट मेकर्स के खिलाफ जाना होता है। 

नौसिखियों के लिए एडवाइस

ट्रेडिंग (Traeding) वर्ल्ड में प्रवेश के लिए कम बाधाओं के साथ दे ट्रेडिंग और स्कालपिंग सहित अन्य रणनीतियों में हाथ आजमाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। स्काल्पिंग में नए आने वाले लोगों को यह स्पेसिफाई करना होगा कि ट्रेडिंग स्टाइल उनके पर्सनालिटी के अनुरूप हो क्योंकि इसके लिए डिसिप्लिनड एप्रोच की आवश्यकता होती है। व्यापारियों को क्विक डिसीजन लेने, अपॉर्चुनिटी को पहचानने और स्क्रीन पर लगातार नजर रखने की आवश्यकता होती है। जो लोग इंपेशेंट है और छोटे-छोटे सफल ट्रेडिंग चुनकर संतोष महसूस करते हैं वे स्काल्पिंग के लिए बिल्कुल परफेक्ट है।

वैसे तो यह कहा जाता है कि स्काल्पिंग नौसिखियोंं के लिए उपयुक्त ट्रेडिंग स्ट्रेटजी नहीं है क्योंकि इसमें क्विक डिसीजन लेना होता है, स्क्रीन पर लगातार देखते हुए मार्केट रेट्स पर नजर रखना और लगातार टर्नओवर भी शामिल है। फिर भी यदि नौसिखियें स्काल्पिंग में इंवॉल्व होना चाहते हैं तो उन्हें कुछ बातों का खास ख्याल रखना होगा। उन्हें स्वयं को ऑर्डर एग्जीक्यूशन में पारंगत करना होगा। एक नौसिखिए स्कॉल्पर को सदैव यह सुनिश्चित करना होगा कि वह ट्रेडिंग करते समय कॉस्ट का ध्यान रखें, फ्रिक्वेंटली शेयर खरीदना और बेचने में काफी महंगा कमीशन देना पड़ सकता है इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है की सही ऑनलाइन ब्रोकर का चयन किया जाए। किसी नौसिखिए  को खुद को टेक्निकल एनालिसिस में पारंगत करना भी जरूरी होता है साथ ही साथ उन्हें मार्केट पल्स को समझना भी अत्यंत आवश्यक है।आजकल इंटरनेट पर सभी जानकारियां अवेलेबल होती हैं, कुछ ट्रेनर्स ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग की क्लासेस भी प्रोवाइड करते हैं। बेहतर है कि इन क्लासेस को ज्वाइन करके या इंटरनेट के जरिए पहले कुछ ज्ञान अर्जित कर लिया जाए इसके बाद स्काल्पिंग शुरू की जाए ताकि आप सफल स्काल्पिंग कर सके।

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