एनपीएस(NPS) और पीपीएफ(PPF) दोनों ही गवर्नमेंट द्वारा लांच किए गए रिटायरमेंट सेविंग स्कीम (Retirement saving schemes) है। दोनों का ही उद्देश्य फंड को नियमित रूप से सेव करने का है ताकि रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को सिक्योर किया जा सके। पर सोचने योग्य बात तो यह है कि जब दोनों ही स्कीम एक समान है तो फिर इन दोनों के होने का क्या तात्पर्य है जबकि एक से ही उद्देश्य की पूर्ति हो सकती है? दोनों ही स्कीम्स में क्या अंतर है तथा इनमें से किसे चुना बेहतर होगा? यदि आप इन सवालों के बीच जूझ रहे हैं तो हम आपको इन दोनों के बीच समानता और भिन्नता की विस्तृत जानकारी देंगे। संभवत इस आर्टिकल के अंत तक आप यह निर्णय ले सकेंगे कि आपके लिए पीपीएफ या एनपीएस में से क्या बेहतर विकल्प है।
एनपीएस बनाम पीपीएफ(National Saving Schemes vs Public Provident Fund)?
यह वास्तविकता में एक जटिल सवाल है। जब भी हम रिटायरमेंट के बाद के लिए फंड्स की सेविंग की बात करते हैं तो पब्लिक प्रोविडेंट फंड हमारे दिमाग में सबसे पहले आता है। पीएफ लंबे समय तक सिक्योर रिटर्न देता है यही कारण है कि लोग पीएफ को ज्यादा प्रेफर करते हैं लॉन्ग टर्म सेविंग के लिए।
नेशनल सेविंग स्कीम ने पिछले कुछ समय में काफी प्रसिद्धि हासिल कर ली है। रिटायरमेंट सेविंग्स(Retirement saving) के लिए यह एक अच्छा टूल साबित हो रहा है। NPS की पापुलैरिटी साल 2015-16 के बजट के बाद काफी बड़ी है। इसका विशेष कारण यह है कि इस बजट में एनपीएस इन्वेस्टमेंट पर गवर्नमेंट ने अतिरिक्त 50,000 का टैक्स डिडक्शन दिया था।
उपरोक्त बिंदुओं से यह समझ आता है कि दोनों ही स्कीम अपने आप में अच्छी स्कीम्स है किंतु जब किसी एक को चुनने की बारी आती है तो यह समझना अति जटिल है कि दोनों में से किसे चुना जाए। आइए हम इसे विस्तार में समझे।
पीपीएफ विस्तृत जानकारी
पीपीएफ (PPF) एक जोखिम मुक्ति योजना है जो गारंटीड रिटर्न प्रदान करती है। ऐसे 1965 में गवर्नमेंट द्वारा लांच किया गया था। PPF एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट टूल है जिसमें सैलरीड पर्सन, प्रोफेशनल्स तथा सेल्फ एंप्लॉयड व्यक्ति निवेश कर सकते है। यह एक डेट टूल है। इस योजना में निवेश की गई राशि पर अर्जित इंटरेस्ट और मेच्योरिटी अमाउंट टैक्स फ्री होता है। योजना में इन्वेस्टमेंट की अवधि 15 वर्ष है तथा हर तिमाही में सरकार की ओर से ब्याज दर तय किया जाता है। फिलहाल PPF पर 7.1% इंटरेस्ट रेट मिल रहा है। यदि व्यक्ति चाहे तो 15 वर्ष की अवधि के बाद इसे 5 साल के ब्लॉक में आगे भी जारी रख सकता है। इन्वेस्टर अपने पीपीएफ अकाउंट पर लोन भी प्राप्त कर सकते है किंतु इसके लिए पीपीएफ अकाउंट काम से काम तीन वर्ष पुराना होना चाहिए। पते की बात तो यह है कि यदि आप 6 वर्ष की अवधि तक अपना लोन पूरी तरह चुका देते हैं तो आप पुनः लोन लेने के लिए एलिजिबल हो सकते हैं।
पीपीएफ अकाउंट कौन खोल सकता है
कोई भी भारतीय नागरिक जो की 18 वर्ष या उससे ऊपर की उम्र का हो पीपीएफ अकाउंट खोल सकते है। किंतु एक व्यक्ति एक वक्त में एक ही पीपीएफ अकाउंट होल्ड कर सकता है। यदि दूसरा पीपीएफ अकाउंट है तो वो माइनर के नाम पर ही होगा। एनआरआई तथा हिन्दू अंडिवाइड फैमिली पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए एलिजिबल नही है।
एनपीएस(National Pension Schemes) विस्तृत जानकारी
एनपीएस(National Saving Schemes) एक गवर्मेंट स्पॉन्सर्ड पेंशन प्रोग्राम है। पब्लिक, प्राइवेट और अनॉर्गनाइज सेक्टर के लोग इसमें इन्वेस्ट कर सकते है किंतु आर्म्ड फोर्सेज के लिए यह स्कीम नही है। यह एक मार्केट लिक स्कीम है। क्योंकि यह एक रिटायरमेंट स्कीम है इन्वेस्टर इसमें इन्वेस्ट करने के बाद 60 वर्ष की उम्र से पहले अपना पैसा रिडीम नहीं कर सकते है। एक लंबे समय का लॉक इन पीरियड यह एश्योर करता है कि जो पैसा इन्वेस्ट किया गया है वह रिटायरमेंट के बाद इस्तेमाल करने के लिए है। आमतौर पर लोगों को यह गलतफहमी होती है कि एनपीएस में फिक्स रिटर्न मिलता है पर वास्तव में यह एक मार्केट लिंक प्रोडक्ट है जिसका रिटर्न पूरी तरीके से मार्केट रेट्स पर निर्भर करता है।
एनपीएस में कौन इन्वेस्ट कर सकता है
कोई भी भारतीय नागरिक चाहे वह भारत में निवास करता हो या एनआरआई हो वह एनपीएस में इन्वेस्ट करने के लिए पात्र होता है। इन्वेस्टर की उम्र एप्लीकेशन के सबमिशन के वक्त 18 से 60 के बीच होनी चाहिए।
रिस्क फैक्टर
रिस्क फैक्टर एक बहुत ही महत्वपूर्ण आधार है जिसे ध्यान में रखकर कोई भी व्यक्ति इन्वेस्टमेंट करने या ना करने का निर्णय ले सकता है। पीपीएस एक डेट इन्वेस्टमेंट है अतः यह पूर्णतया रिस्क फ्री है वहीं पर एनपीएस इक्विटी तथा डेट दोनों का मिक्स है। निवेशक अपनी रिस्क कैपेसिटी के अनुसार इन्वेस्टमेंट के अमाउंट को इक्विटी तथा डेट में विभाजित कर सकते हैं। एनपीएस में निवेशक लगभग 75% तक इक्विटी का एक्सपोजर चुन सकते हैं। यदि रिस्क ऐपेटाइट काम है तो निवेशक एनपीएस अकाउंट में 50 फ़ीसदी डेट और 50 फ़ीसदी इक्विटी का ऑप्शन भी रख सकता है।
रिटर्न in NPS
रिटर्न के मामले में भी दोनों ही स्कीम में कुछ भिन्नताएं हैं जो आपको इन्वेस्ट करने या ना करने को प्रेरित करती है। क्योंकि एनपीएस इक्विटी एक्स्पोज़र देता है इसलिए निवेशक लंबी अवधि में लगभग 10% का रिटर्न हासिल कर सकता है जो की पीपीएफ के मुकाबले 2.9% अधिक है। एनपीएस में रेट ऑफ़ रिटर्न ज्यादा है किंतु रिस्क फैक्टर भी ज्यादा है।
पीपीएफ का रिटर्न एक मुश्त राशि में मिलता है जबकि एनपीएस में 60% राशि आपको एक मुश्त मिलती है और 40% राशि अनन्युटी में जाती है जो आपको मंथली पेंशन प्रोवाइड करती है। यह पेंशन आपके जीवन भर मिलती है जो कि टैक्स डायरी में आती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस प्लान का डिजाइन खास तौर पर रिटायरमेंट के बाद की फाइनेंसियल जरूरत को ध्यान में रखकर किया गया है।
निवेश संबंधी नियम
पीएफ(PF) खाते में एक व्यक्ति अधिकतम 12 इंस्टॉलमेंट की अनुमति रखता है। पीपीएस खाते में जमा करने की न्यूनतम राशि ₹500 है जबकि अधिकतम राशि डेढ़ लाख रुपए तक जा सकती है। एनपीएस की तरफ मिनिमम एनुअल कंट्रीब्यूशन 1000 रुपए है तथा इस योजना में निवेश करने के लिए वेतनभोगी कर्मियों के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
निष्कर्ष
उपरोक्त सभी जानकारी के आधार पर हम यह कह सकते हैं की रिटायरमेंट प्लान के लिए पीपीएफ एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें रिस्क कम है। यह सत्य है कि एनपीएस, पीपीएफ की तुलना में बेहतर रिटर्न दे सकता है पर रिटायरमेंट के बाद के प्लान में रिस्क रखना उचित नहीं है। यदि आप यह मानते हैं कि आपके पास आय के और भी स्रोत होंगे तो आप एनपीएस चुन सकते हैं।